ऑपरेशन क्लीन: 25 साल बाद नक्सलियों के डर से आजाद हुआ पामेड़-तर्रेम मार्ग, अब बनेगी सड़क

बीजापुर। बीजापुर जिले का पामेड़-तर्रेम मार्ग, जो पिछले 25 सालों से नक्सलियों के कब्जे में था, अब आम लोगों के लिए खुल चुका है। जहां कभी बिना नक्सलियों की इजाजत के कोई कदम भी नहीं रख सकता था, वहां अब सुरक्षाबलों की मौजूदगी में सड़क बनाई जा रही है। इस ऑपरेशन के साथ ही इलाके के विकास की राह भी खुल गई है।

हेलिकॉप्टर से भेजी जाती थी रसद

इस इलाके पर कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा की बटालियन का दबदबा था। हालत यह थी कि पामेड़ थाने और सुरक्षा कैंपों तक जवानों के लिए राशन तक हेलिकॉप्टर से भेजना पड़ता था। जवानों को एयरलिफ्ट कर जिला मुख्यालय लाना पड़ता था। खराब हालातों की वजह से इस इलाके की पोस्टिंग को सियाचिन जैसी चुनौतीपूर्ण तैनाती माना जाता था। अब सड़क बनने से जवानों और आम लोगों दोनों के लिए राहत मिलेगी।

100 किलोमीटर कम हुआ सफर

अब तक बीजापुर से पामेड़ जाने के लिए लोगों को तेलंगाना के चेरला के रास्ते 210 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। इस नए मार्ग के खुलने से अब तेलंगाना की ओर से जाने की जरूरत नहीं होगी और सफर करीब 100 किलोमीटर छोटा हो जाएगा। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा और रोजगार के अवसर भी बेहतर होंगे।

सड़क निर्माण में अब भी खतरा

हालांकि, इलाके में सड़क निर्माण आसान नहीं है। सुरक्षाबलों को हर कदम पर प्रेशर आइईडी, बूबी ट्रैप और एंबुश का खतरा बना हुआ है। हर मूवमेंट सावधानी से किया जा रहा है, ताकि निर्माण कार्य बिना किसी बड़े नुकसान के पूरा हो सके।

सुरक्षाबलों का अभियान जारी

बीते चार दशकों तक इस इलाके में नक्सलियों का दबदबा रहा है। हालांकि, सुरक्षा अभियानों ने धीरे-धीरे उनकी पकड़ कमजोर कर दी है। फिर भी चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। सुरक्षाबल इलाके को पूरी तरह नियंत्रण में लेने और इंटर-डिस्ट्रिक्ट कॉरिडोर को सुरक्षित करने में जुटे हुए हैं। सड़क निर्माण के साथ इस इलाके में स्थायी बदलाव की उम्मीद भी बढ़ गई है।

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